जानता हूँ किसी रोज़ मैं मोड़ मुड़ जाऊंगा
मगर जिस रोज़ भी में तुमको छोड़ जाऊंगा
दिलों में उम्मीद एक लगन छोड़ जाऊंगा
ज़िन्दगी अपनी यारो खुली किताब है
तुमसे मिले प्यार का इसमें हिसाब है
प्यारे उन लम्हों की ख़ुशी छोड़ जाऊंगा
ज़माने के रंग कई अजी हमने देखे हैं
मिलन की ख़ुशी जुदाई के ग़म देखे हैं
तिनकों से जो बुने महल छोड़ जाऊंगा
तक़दीर से हौसले की जंग की ज़िद थी
लकीर कई हाथों की बदलने की ज़िद थी
शोले न जगा सका चिंगारी छोड़ जाऊंगा
जानता हूँ किसी रोज़ मैं मोड़ मुड़ जाऊंगा
मगर जिस रोज़ भी में तुमको छोड़ जाऊंगा
दिलों में उम्मीद एक लगन छोड़ जाऊंगा