हम तनहा खुद में समाये थे
दूर हमसे हमारे ही साये थे
सूने मन में फिर तुम आये
कई वादे अपने संग लाये
कई सपने हमको दिखलाये
आये तुम तो आते चले गए
मेरे वज़ूद पर छाते चले गए
दिल बहला फिर बहक गया
सूना मन आँगन महक गया
हम खोये अखियों को मींचे
चल दिए यूँ ही पीछे पीछे
मालूम न था कि दगा दोगे
पलकों से हमें गिरा दोगे
वादे जो किये झूठे होंगे
शीशे सपनों के टूटेंगे
वही हुआ जिसका डर था
कुछ टूटा दिल के अंदर था
किसे दिखलायें किस से कहें
बेहतर है कि चुपचाप सहें
तुम दिल की तिज़ारत करते रहो
खुश रहो जिओ आबाद रहो