पिताजी बार बार
कहते कहते मर गए
प्रतिभाशाली बनो प्रतिभाशाली बनो
प्रतिभाशाली बनो
पिताजी मर गए
पर उनके वे शब्द सदा
उसके कानों में गूंजते रहे
लेकिन जीवन में बार बार
असफल रहने पर जब
यह सिद्ध हो गया कि
सफलता का प्रयास उसने
पुरे मन से नहीं किया था
तो वह बैठ गया ठाली
सुनने और सहने के लिए
अपनों और गैरों के
ताने और गाली
आखिर एक दिन
एक उपाय मन में आया
और वह खुद के लिए
एक लड़की तलाश आया
अगले दिन पड़ोसन प्रतिभा की
छोटी बहन से ब्याह कर
घर ले आया और
बना लिया उसे घरवाली
अब प्रतिभा थी उसकी साली
और वह भी हो गया था अब
प्रतिभा-साली