ज़िंदा हो! तो ज़िन्दगी दिखनी चाहिए
होठो पर हर वक्त हंसी खिलनी चाहिए
उतार फेंको चलो यह बुत सा चेहरा
अरे! दर्द को भी तो राहत मिलनी चाहिए
मेहमान खास मेरे बनकर
कभी आओ समां बदल जाये
खूब जमेगी महफ़िल जब
अशआर-ए-शरबत रंग लाये
क्या रंग खिला मेरे शरबत का
रंग फूलों के मिलाये हैं
मन की बगिया को झकझोरा
घर की सिल पर पिसवाये हैं
रंगों में होकर सराबोर
चलो रंगत में हम खो जाएँ
मेहमान खास मेरे बनकर
कभी आओ समां बदल जाये
खूब जमेगी महफ़िल जब
अशआर-ए-शरबत रंग लाये
मन की मधुमक्खी से कहकर
मीठा शहद मंगाया है
लफ़्ज़ों की कसौटी पर तोला
तब मीठा इसे बनाया है
यह मिठास है शुगर फ्री
बेहिचक आप बस आ जाएँ
मेहमान खास मेरे बनकर
कभी आओ समां बदल जाये
खूब जमेगी महफ़िल जब
अशआर-ए-शरबत रंग लाये
इमली सा खट्टा है कुछ
कुछ मिर्ची जैसा स्वाद भी है
स्वादानुसार नमक इसमें
और खुशबू बाग़-ए-बहार की है
बर्फ जमा दी है फ्रिज में
ऑन-दि-रॉक्स चलो हो जाए
मेहमान खास मेरे बनकर
कभी आओ समां बदल जाये
खूब जमेगी महफ़िल जब
अशआर-ए-शरबत रंग लाये
This post is Inspiration to all…..
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