रांझे ने हीर को पसंद किया
दिल का रिश्ता बुलंद किया
दोनों के दिल मिलने लगे जब
दोनों प्यार में पड़ने लगे जब
अनहोनी का बादल फूटा
भाग्य ने अपनी हीर को लूटा
दुर्घटना एक घटी एक दिन
हीर ने खो दी एकआँख उस दिन
रांझे को वह चाहती थी मगर
कहना बहुत कुछ चाहती थी पर
जब रांझा मिलने को आया
हीर ने अपना चेहरा छुपाया
बोली रांझे अब मत आना
जाओ एक नयी दुनिया बसाना
मुझे और प्यार को भूल जाओ
मैं काबिल नहीं तुम्हारे, जाओ
रांझा अपना समझदार था
हीर के हाल से खबरदार था
न सिर्फ उसने हीर को छोड़ा
उसके घर का रास्ता छोड़ा
एक नए जीवनसाथी से
फिर से दिल का रिश्ता जोड़ा
अब तुम बतलाओ विक्रम
क्या रांझे ने न्याय किया
जो हीर को ऐसे छोड़ दिया