वो घर जो छोड़ दिया उसपे अब इख्तियार नहीं
मगर कहें किस तरह तुमसे हमें प्यार नहीं
वो घर जो छोड़ दिया उसपे अब इख्तियार नहीं
हर एक वार पे घर टूटा दर-ओ-दीवार गिरे
रूह तक काँप गयी ज़ख्म-ऐ-दिल बह निकले
मैं गुनहगार सही अहल-ए-दिल बेजार सही
मगर कहें किस तरह तुमसे हमें प्यार नहीं
वो घर जो छोड़ दिया उसपे अब इख्तियार नहीं
मगर कहें किस तरह तुमसे हमें प्यार नहीं
वो घर जो छोड़ दिया उसपे अब इख्तियार नहीं
तिनका तिनका टुकड़ा टुकड़ा घर बनाया था
रेशा रेशा खुशियां बुनकर जहाँ बसाया था
तुम चली गयी भटकती रूह रही मैं बेकरार नहीं
मगर कहें किस तरह तुमसे हमें प्यार नहीं
वो घर जो छोड़ दिया उसपे अब इख्तियार नहीं
मगर कहें किस तरह तुमसे हमें प्यार नहीं
वो घर जो छोड़ दिया उसपे अब इख्तियार नहीं
घर बन जाते हैं मिट जाते हैं फिर बन जाते हैं
दिलों के रिश्ते रूह के नाते कहाँ दोहराते हैं
वो बनायें नया घर अपना मुझे सरोकार नहीं
मगर कहें किस तरह तुमसे हमें प्यार नहीं
वो घर जो छोड़ दिया उसपे अब इख्तियार नहीं
मगर कहें किस तरह तुमसे हमें प्यार नहीं
वो घर जो छोड़ दिया उसपे अब इख्तियार नहीं
Bahut hi khubsurat rachna.👌👌
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