तेरी नेमतों का क़र्ज़ उतारे बैठा हूँ
ज़िन्दगी है तेरा इंतज़ार बैठा हूँ
**********************
महक ज़रा तेरी साँसों की
आँखों की हया अभी बाक़ी है
कुछ रेशे तेरे दामन के
मेरी पेशानी पर बाक़ी है
ख्वाब न जो ताबीर बने
रानाई अभी भी बाक़ी है
दिल-ए-नादान बियांबां में
रूह-ए-खलिश अभी बाक़ी है
तुम चाक जिगर डालो खंज़र
कि इश्क़-ए-जुनूं अभी बाक़ी है