बदल रहा है मौसम मिज़ाज़ लोगों की तरह
शायद हवाएं तेरे शहर से होकर गुज़री हैं
ऐ तूफां तेरी ताक़त का गुमां रहने दे
एक टिमटिमाता दिया तुझे ठेंगा दिखा रहा है
लाख अँधियाँ उजाड़ दें उम्मीद के दरख़्त
मेरे हौसले फौलाद हैं बेदम न होंगे
दिन दिन इसी एहसास में गुज़रता है
कि वो दिन पलटकर फिर से आएंगे
गीली हवाओं में अब सर्द महसूस होता है
कौन कम्बख्त मेरे जिस्म की गर्मी चुरा रहा है
इन्हें चखकर देखो तो. मीठे हैं न !
तजुर्बे के बागीचे से कुछ फल ताज़ा तोड़े हैं