क्या उलझन है मायूसी क्यों
जो होगा हो जाने दो बेचैनी क्यों
कल की चिंता में पड़ कर तुम
क्यों हो अपना आज गंवाते
क्यों न कड़े परिश्रम से तुम
सुख साधन की फसल उगाते
भाग्य का लेखा पता नहीं है
कर्म की कुंजी हाथ थमी है
श्रम से अपने धो डालो तुम
किस्मत पर जो धूल जमी है
जो करना है आज ही कर लो
आज गया तो कल की खबर क्या
इक पल के मेहमान सभी हम
यह पल गुजरा पल की खबर क्या
छोडो उलझन मायूसी को
जो करना है अब कर लो
इस पल में जी लो
✍️🙂👍👍
LikeLike
Thanx! Please visit https://www.facebook.com/avneetmishradilkiaawaaz or https://www.youtube.com/channel/UC6HOEH19a4R_EBKZNwvnhyg?view_as=subscriberfor videofication of my poems
LikeLike