हुई ज़िन्दगी तमाम कोई फिर गुज़र गया
क्या सबब कौन कौन उसकी मैयत मेँ गया
आँखें खुलीं थी उसकी किसी अपने की चाह मेँ
कैसे जियेगा शायद दिल मेँ डर घर कर गया
टुकड़ा टुकड़ा जोड़ बनाया था एक जहाँ
बस एक पल में गैरों के वो नाम कर गया
सजदे किया गए तमाम मांगी गयीं दुआएं
बेअसर सभी दुआओं को वो मगर कर गया
तुमसे है गुज़ारिश न करना उसको याद
गुज़रा हुआ वक्त था वो बस गुजर गया