वक्त है बदल रहा रास्ते हैं अनजान
पुकारता हूँ मैं तुम्हें कि बानगी मिलती रहे
मंज़िलों की राह पर कारवाँ बढ़े चलें
दीप हूँ जला रहा कि रौशनी मिलती रहे
नए कीर्तिमान देखो आज तुमको खोजते
लाखों स्वप्न पूर्णता रहे तुममें संजोते
खुद भी चलना है तुम्हें नयी राह भी दिखानी
जगा रहा हूँ मैं तुम्हें कि प्रेरणा मिलती रहे
ज़िन्दगी की मुश्किलों के हल हासिल नहीं
राह भटका दें ऐसे दुश्मन भी कम तो नहीं
प्रतिद्वंदियों से आगे बढ़ चलना है तुुम्हेँ
प्रोत्साहन हूँ दे रहा कि ऊर्जा मिलती रहे
माना मेरे लहजे में हल्का सा एक तंज़ है
उपहास भी तो यार एक दोस्ती का रंग है
बीच राह ठोकरों से लड़खड़ा न जाओ कहीं
हाथ हूँ बढ़ा रहा कि ‘मशाल जलती रहे
दोस्ती को मेरी तुम जो भी नाम दो
अच्छा लगे या फिर चाहे बुरा मान लो
ध्येय मेरा बस है कि सर तुम्हारे ताज हो
आसमान छू सको नयी मंज़िलें मिलती रहें
वक्त है बदल रहा रास्ते हैं अनजान
पुकारता हूँ मैं तुम्हें कि बानगी मिलती रहे
मंज़िलों की राह पर कारवाँ बढ़े चलें
दीप हूँ जला रहा कि रौशनी मिलती रहे