निस दिन नया सवेरा आशा का संदेशा लाता है
प्रकृति का सुन्दर स्वरुप मन को अति हर्षाता है
पंछियों के कलरव ने धुन फिर नयी बजायी है
सुबह के रंगों ने नभ में समरसता बरसाई है
नन्हे बालक सा सूरज नन्हे पैरों पर खिसक खिसक
आ बैठा लो क्षितिज पर तारों की नींद उड़ाई है
जाओ अब कल फिर आना यह डांट उन्हें समझाता है
निस दिन नया सवेरा आशा का संदेशा लाता है
प्रकृति का सुन्दर स्वरुप मन को अति हर्षाता है
बहती हवा धीमे से कान में कुछ कह जाती है
हरी फसल और पेड़ों को बस यूँ ही छेड़ती जाती है
ओस की बूंदें पौधों पर आ बैठी हैं मोती बनकर
इनकी चमक से देखो तो हीरे की चमक लगे पत्थर
सब अपने है कोई गैर नहीं मन में विश्वास समाता है
निस दिन नया सवेरा आशा का संदेशा लाता है
प्रकृति का सुन्दर स्वरुप मन को अति हर्षाता है
बादल का नन्हा टुकड़ा एक झुण्ड से जैसे बिछड़ गया
माँ के आँचल में सोया था शायद रस्ते में छिटक गया
नन्हे हाथी का रूप धरे बस एक ही बात सताती है
सब बच्चे अपने घर है माँ क्यों नहीं मुझे बुलाती है
खोजे कैसे पर माँ उसको निज रूप बदल जो जाता है
निस दिन नया सवेरा आशा का संदेशा लाता है
प्रकृति का सुन्दर स्वरुप मन को अति हर्षाता है
मंदिर मस्जिद में गूंज रहे घण्टे औ अज़ान के स्वर
मनचाहा वर देने को आतुर है ज्यों अल्लाह ईश्वर
कलकल बह कहती जलधारा गति में ही नवजीवन है
रुक जाये गर ज्यों दूषित जल अस मनुष्य का जीवन है
खुल रहा भेद इस जीवन का संसार जिसे बिसराता है
हर दिन नया सवेरा आशा का संदेशा लाता है
प्रकृति का सुन्दर स्वरुप मन को अति हर्षाता है