फलक से तारे लाना चाहता हूँ तुम्हें मंज़ूर हो तो
चाँद पर घर बनाना चाहता अगर मंज़ूर हो तो
तुम्हारे गेसुओं की श्याही ले कर रात उतरी
तेरे नूर-ऐ-नज़र से ये फ़िज़ा है और निखरी
तेरे नूर-ऐ-नज़र से ये फ़िज़ा है और निखरी
ज़रा काजल चुराना चाहता हूँ तुम्हें मंज़ूर हो तो
लबों पे बात लिखना चाहता हूँ अगर मंज़ूर हो तो
फलक से तारे लाना चाहता हूँ तुम्हें मंज़ूर हो तो
चाँद पर घर बनाना चाहता अगर मंज़ूर हो तो
तुम्हारी हर अदा पर आह भरते इश्क़ वाले
बहुत होंगे नज़र और गेसुओं पर मरनेवाले
बहुत होंगे नज़र और गेसुओं पर मरनेवाले
मैं कलम सर कराना चाहता हूँ तुम्हें मंज़ूर हो तो
इश्क़ में जां से जाना चाहता हूँ अगर मंज़ूर हो तो
फलक से तारे लाना चाहता हूँ तुम्हें मंज़ूर हो तो
चाँद पर घर बनाना चाहता अगर मंज़ूर हो तो
तुम्हें बरसों से पूजा तुम्हें दिल चाहता है
सलामत तुम रहो बस य्ये दुआएं माँगता है
सलामत तुम रहो बस य्ये दुआएं माँगता है
खुदा तुमको बनाना चाहता हूँ तुम्हें मंज़ूर हो तो
कलीमे तुमपे पढ़ना चाहता हूँ अगर मंज़ूर हो तो
फलक से तारे लाना चाहता हूँ तुम्हें मंज़ूर हो तो
चाँद पर घर बनाना चाहता अगर मंज़ूर हो तो
हमें मालूम है कि इश्क़ ये आसां नहीं है
आग के दरिया से मैं लोट जाऊं आता नहीं है
आग के दरिया से मैं लोट जाऊं आता नहीं है
ज़माने से मैं लड़ना चाहता हूँ तुम्हें मंज़ूर हो तो
तुम्हें दुल्हन बनाना चाहता हूँ अगर मंज़ूर हो तो
फलक से तारे लाना चाहता हूँ तुम्हें मंज़ूर हो तो
चाँद पर घर बनाना चाहता अगर मंज़ूर हो तो
Its a nice article !
Good one . Keep it up.
Regards
PK Sharma
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