मौत ने फिर चाल चली कोई गुज़र गया
और एक बेचारा हसरतों में हो दफन गया
चाँद छूने के तो नहीं देखे थे उसने ख्वाब
पर काम मिला जो मिला इसी सोच में गया
दुनिया की दौड़ में न जब उठ सके उसके पैर
कोई हाथ थाम लो.कह गला उसका भर गया
दोस्त सब अपने थे मगर मतलब के थे यार
बर्बाद उस शख्स को यह पतझड़ कर गया
रिश्ता मेरा कोई ख़ास न था बदनसीब के साथ
गयी रात मगर मैं बोझ लिए दिल पे घर गया
अब हसेगा न उस पर न बनेगी कोई बात
खुद पर तंज़ करने वालों का मुंह बंद कर गया