भारत की बेटी यह भारत की बेटी
भाग्य देखो कैसे कैसे लाती है बेटी
लाल बत्ती पर फटे मैले कपड़ों में
नाचती है करतब दिखाती है बेटी
कच्ची उम्र से ही कलाबाज़ी खाती
लोहे के रिंग से गुजर जाती बेटी
इतिहास के खेलों को रख रही ज़िंदा
रजवाड़ों नवाबों की विरासत है बेटी
स्कूल न पढ़ाई बचपन के खेल नहीं
घर का बोझ कांधों पर ढोती है बेटी
घर पर भी माँ के काम काज बंटाती
छोटे भाई बहन को खिलाती है बेटी
माँ बापू मज़दूरी में मज़बूर रहते हैं
चार पैसे घर में कमा लाती बेटी
ब्याहने के बाद ससुराल और नैहर
दो घरों की परंपरा में बंट जाती बेटी
अपमान उलाहने या अत्याचार को
चुप रह सिसक कर सह जाती बेटी
कोई नहीं मांगता केवल अपने भाग्य से
अनचाहे गर्भ में आ जाती है बेटी
वैसे महान और शक्ति की पहचान है
कोख में ही क़त्ल कर दी जाती है बेटी
इन्सानित को शर्मसार करती कहीं
चंद रुपयों में ही बिक जाती बेटी
बावजूद इसके अपने संघर्ष से
पहचान अपनी बनाती है बेटी
सानिया कल्पना मेरीकॉम बनकर
भारत को गौरव दिलाती है बेटी