मंज़िल है दूर तन्हा सफर जीत होगी कल
पेश आएगी मुश्किल ज़रा संभलकर चल
माना फेर ली हैं सब अपनों ने निगाहें
कोई नहीं जो मुश्किल में हाथ थामे
भरोसा रख ये दौर फिर होगा न कल
बन्दे तेरी उम्मीद का खिलेगा कमल
मंज़िल है दूर तन्हा सफर जीत होगी कल
पेश आएगी मुश्किल ज़रा संभलकर चल
आदत लोगों की बढे कदम पर टोक दें
अपनों से मिलते ज़ख्म यारों से धोखे
बदलेगा न ज़माना तू खुद को बदल
तुझ से बंधीं उम्मीदें तू करेगा पहल
मंज़िल है दूर तन्हा सफर जीत होगी कल
पेश आएगी मुश्किल ज़रा संभलकर चल
रख खुदा को हाज़िर फ़र्ज़ अदा किए जा
दुआएं मिलेंगी तुझको नेकी किये जा
कोशिश के आगे पत्थर भी जाते पिघल
मेहनतकशों को मिलते मुश्किलों के हल
मंज़िल है दूर तन्हा सफर जीत होगी कल
पेश आएगी मुश्किल ज़रा संभलकर चल