क्यों हो खामोश क्यों इतने हैरां हो
क्यों हो जैसे अजनबी कुछ तो कहो
क्या ग़लत हुआ है क्या बदल गया है
कसम है तुमको यार कुछ तो कहो
तेरी ख़ुशी के लिए ही मैं जी रहा हूँ
ज़ख्म अपनों के बस दर्द पी रहा हूँ
फेर ली तूने नज़र तो टूट जाऊँगा
तनहा अँधेरे में मैं गुम हो जाऊँगा
जो चाहो अगर सजा मुझे दे दो
रूठकर मुझसे दूर यूँ चली जाओ न
थाम लो हाथ मेरा अब लौट आओ न
ज़िद न छोड़ी तो मेरी जान जायेगी
दर्द-ऐ-दिल सुनो तनहा न सहो
हंसी आयी लब पर कलियाँ खिल गयीं
डूबती धड़कनों को ज़िन्दगी मिल गयी
भूलकर भी अब मुझसे न रूठ जाना तुम
मेरे दिल पागल को अब न सताना तुम
जान मेरी हो तुम जां मेरी रहो
दोनों हैं खामोश दोनों हैरां हैं
प्यार में दिल्लगी को तोबा कहो