नेताजी ने रुपया खाया
कोयला खाया बंगला खाया
किया घोटाला चारा खाया
स्पेक्ट्रम खाया पुल भी चबाया
पब्लिक धन भरपूर उड़ाया
फिर भी तनिक न मुंह बिचकाया
देश को आखिर बीपी आया
मुहँ के बल चित्त गिरा धड़ाम
तभी कहीं किसी कोने से
कर्मवीर कहीं निकल के आया
भागदौड़ की देश संभाला
जनता का विश्वास कमाया
सब चोरों को बारी बारी
सजा दिलाई जेल भिजाया
अब चोरों के होश फाख्ता
हाय राम भी निकल न पाया