अंधेरों में चलो नए दीप हम जलाएं
भले न हो बात बिना बात मुस्कुराएं
ज्योत से ज्योत जलाते चले जाएँ
गीत कोई गाऐं उम्मीद नई जगाएं
माना चस्पा है हर तरफ उदासी
नतीजों से नहीं आस भी जरा सी
बुझे हुए दिलों को कुछ तो बहलाएं
गीत कोई गाऐं उम्मीद नई जगाएं
ख़बरों से जुडो तो ख़बरें हैं डरातीं
सब ख़त्म होने को है एहसास करातीं
वीरानी आँखों में नए स्वप्न सजाएं
गीत कोई गाऐं उम्मीद नई जगाएं
नेता तो होते चोर’ मगर सब तो नहीं हैं
जनता है मासूम’ पर क्या यह सही है
हम नहीं गर सच्चे क्यों आस लगाएं
गीत कोई गाऐं उम्मीद नई जगाएं
मैं करूँ तुम करो क्यों दूसरा करेगा
शासन पर दोष कब तलक लगेगा
‘कुछ नहीं हो सकता’ को ठेंगा दिखाएं
गीत कोई गाऐं उम्मीद नई जगाएं
दुनिया वही सूर्य वही हैं दिन वही सुहाने
धरती वही लोग वही अंदाज वही पुराने
सुबह फिर नयी होगी चलो सब को बताएं
गीत कोई गाऐं उम्मीद नई जगाएं