समंदर बोतल में उतारा है हमने
बरगद गमले में उगाया है हमने
शीशे कोआईना दिखाया है हमने
हाथी से गन्ना छुड़ाया है हमने!
तारीफ़ अपनी ज़माने से पूछो
सूरज को शरबत पिलाया है हमने
कई बार जंगल में जाकर के मित्रो
न लाठी न बन्दूक थी हाथ मित्रो
‘बंगाल टाइगर’ जब जब मिला है
कसम से शहर तक भगाया है हमने
तारीफ़ अपनी ज़माने से पूछो
शहर जा गीदड़ को मारा है हमने
एक बार चढ़ आसमां पर गए हम
सितारों से आगे जहाँ तक गए हम
रख जेब में चाँद की चांदनी को
चंदू’ को ठेंगा दिखाया है हमने
तारीफ़ अपनी ज़माने से पूछो
क्या क्या करतब दिखाया है हमने
इस तरह से लम्बी लम्बी सुनाकर
यारों को बेइंतेहा पकाकर
घूसों से लातों से जब जब पिटे हैं
चोटों को अपनी सहलाया है हमने
तारीफ़ में अब और क्या करें हम
लोगों को यूँ ही सताया है हमने
jaane na tu kewal hume pta h k tere jaise kitno ko pakaya h humne
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