(My very first creation)
बढ़ी हुई मुश्किलों के
हल जो न निकल सके
हालात न बदल सके
‘विधा’ संग न चल सके
मिटा भेद अपनों का
घुटा दम सपनो का
बढ़ी बौखलाहट
हुई छटपटाहट
विचारों की आंधी में
घुमड़ा चिंतन
कौंधी बिजली
बरसा आसमान
तो हुई सृजित
मेरी ‘नन्ही’ कविता