मैं खोजता रहा उसको
मंदिरों में शिवालयों में
मस्जिदों गुरुद्वारों में
महसूस किया न किया
जब थामा तूने हर बार
जब जब मैं गिरा भटका
जीवन की डगर पर
तू कहीं पास ही था
सही राह दिखाने को
मेरे अंधरे मिटाने को
आज जब लौ जगी
जीवन की दिशा बदली
दर्पण से धुल हटी
अंतर्मन जगमगाया
फिर नज़र आया
कि तू ही ‘ओम’ बनकर
मेरा जन्मदाता बना
मेरा हाथ पकड़कर
छोटे क़दमों को से
चलाया बड़ा किया
उस माँ में तू ही था
सखा बंधू बनकर
प्रेम ‘सुधा’ से सींचकर
‘राम’ का सा स्नेह दिया
वो ‘लक्ष्मण’ तू ही था
वो जो मेरे साथ रहा
दुःख में सुख में
गर्मी सर्दी में
सावन भादों में
सब नेक इरादों में
न कोई शर्त न शिकायत
ये मैंने अब देखा कि तू
बना मेरी जीवन ‘रेखा’
अब मुझे एहसास है
कि तू मेरे पास है
निश्छल निर्मल सहृदय
मेरा सखा मेरा गुरु
तेरी अक्षय कृपा
रही मुझ पर सदा
और रहे सर्वदा
‘अभय’ दान मांगूं
रहे समीपता
अटल रहे विश्वास
कि तू यहीं है यहीं है
मेरे पास मेरे साथ
Nice…and I know why certain words are quoted😊
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So nice of you
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